How to Start Tea Garden or Tea Leaf Business in Hindi

चाय एक ऐसा सब्द है जो हर कई सुनाई देता है। ये एक ऐसी चीज हे जिसकी फरमाइस लोग कभी भी कर देते है। मुड अच्छा हो तो भी चाय और अच्छा न हो तो भी चाय।  कई दोस्त या रस्ते दार क घर जाओ तो भी लोग पूछ ही लेते हे की चाय बाय पियोगे।  ओवरऑल बात ये हे की हमारे देसमे चाय के साथ लोगो का नाता इतना गहरा हे की कभी टूट ही नहीं सकता।  और आज प्रोस्टार सप्पोर्ट बताएगा की आप अपना खुद का चाय का बगान कैसे खुल सकते हे। तो ये मेसेज पढ़िएगा। 

How to Start Tea Garden or Tea Leaf Business in Hindi

 चाय का उत्पादन 

>> चीन के बाद इंडिया दूसरा चाय उत्पादक देस हे ,ओर हम दुनिया की 27 % चाय उगाते हे। इसके आलावा चाय पिने के मामलेमे भी हम बोत आगे हे. और टोटल ग्लोबल टी का 11 % चाय हम इंडियन पि जाते हे। और हम इंडियन वाकैमे इन चाय पिते  हे की सिर्फ साल २०२० में ही इंडिया में  1. 10 मिलियन टन चाय कन्जुम की गई थी।  साल 2026 तक ये 1 . 40 मिलियन टन तक पहोच जायेगा। अपने या वेस्ट बंगाल एंड असम में सबसे ज्यादा चाय प्रोडक्सन होता हे।  और इसके आलावा भी हिमाचल परदेस, उत्तराखंड ,त्रिपुरा ,मेघालय,मिजोरम ,उड़ीसा,तमिलनाडु और केरल में भी चाय की खेती होती हे।  चाय की खेती इंडिविजुअल के तोर पर या एक कम्पनी टेबलिस करके भी कर सकते हे।  अगर इंडीविजवल के लेवल पर कर रहे हे तो आप के पास 5 -10  विघा या 2 -4 एकर जमीन हे तो कर सकते हे।  य फिर बड़ी स्किल पर कर सकते हे तो प्राइवेट लीमिटेड कम्पनी,LLP , वन परसन कपनी बनाकर भी कर सकते हे।  जिसके लिए जिस चीज की जरूर पड़ेगी इनकी बात करते हे।  

 चाय की खेती के लिए जरुरी चीजे 

>> सबसे पहले चाहिए खेती लायक जमीन। चाय की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको जमीन लेनी पड़ेगी। जिसकी कीमत अलग अलग राज्य में अलग अलग हो सकती हे। कितनी बड़ी जमीन पर खेती करवाएंगे जिस पर आपकी इन्वेस्टमेन्ट ले हद तक डिपेंट करेगी। बात जब जमीन की होती हे तो चाय की जमीन बेहद उपजाऊ होनी चाहिए।  जिसका ph लेवल 5 . 4 थी 6 माना जाता जाता हे।  अब जमीन लेने से पहले उसका सोइल टेस्ट भी करवा सकते हे।  जमीन लेने के बाद आप जमीन की=ो उपजाऊ और फर्टिलाइजर बनाने के लिए हर एकर में 90 से 120kg  नाइट्रोजन , 90kg सिंगल सुपर फॉस्फेट एंड 90kg पोटास डलवा सकते हे। दूसरी चीज जो आपको चाहिए साया वाले पेड़।  अगर आप चाय बागान में घूम चुके हे तो अपने नोटिस किया होगा की पोदो की चाय बागानों पेड़ लगे होते हे।  इसकी वजह ये की चाय के पोदो को साया की जरुरत पड़ती हे।  क्युकी धुप में चाय की पत्तिया जल जाती हे। तो अब चाय गार्डन में अपने एरिया में होने वाले पेड़ लगवा सकते हे।  लेकिन ऐसा मन जाता हे की सरिस के पेड़ चाय बागान की मिटटी को उपजाऊ बनाते है।  इसी लिए आसाम की चाय बागानों में ज्यादातर यही पेड़ लगाए जाते हे। चाय के पोदो के लिए 20 -30  डिग्री तापमान अच्छा रहता हे।  10 से कम एंड 35 से ज्यादा गर्मी होने पर चाय के पोदो की कोलेटी ख़राब हो सकती है। तो इतना कर लेने के बाद बरी आती हे चाय के पोदो की।  

चाय की खेती के लिए आप  2 तरीके अपना सकते हे।  

     1   जैसे बीज से पोदो ऊगा सकते हे एंड 

    2   सीधा पोदो की रोपाई कर सकते हे। 

>> पदों को खरीदने के लिए आपके आसपास कोई अच्छी नर्सरी ढूंढनी पड़ेगी।  जे आपको कोलेटी पोदो डिलीवर करे, वो भी सही कीमत पर क्यों की आपको हजारोसे लेकर लाखो पोदे खरीदने पड़ सकते है ।  पोदो की रेट भी अलग अलग राज्य में अलग अलग हो सकती है।  तो अब चाय के पोदे के खेतो  में पानी की भरपूर जरुरत पड़ती है।  पर खेती में चाय बारिस का पानी हो या सिंचाई का पानी सुकना नहीं चाहिए।    

>> देसके वो एरिया जहा बारिस पुरे साल एक जैसी होती हे वहा भी चाय की फसल अच्छी होती हे।  लेकिन खेतो में से पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, नहीं तो पोदो ख़राब हो सकते है। 

 लेबर और मेनपावर 

>> अब बात करते हे लेबर और मेनपावर की, चाय की खेतो में सरुआत से ही काम करने वाले लोग एंड मजदुर की जरुरत पड़ती हे।  जमीन की सफाई, पोदो की रोपाई और सिंचाई, पेड़ो की चटनी , खाध डालने , पट्टी चुनने और इन्हे फैक्टरी तक पहुचाने के लिए काफी सारे एक्सपर्ट लोगो की जरुरत पड़ती हे।  चाय की पत्तिया चुनने के अकसर महिला कामगारों को रखा जाता हे।  चाय के पेड़ो से साल में तीन  से चार बार पत्तिया तोड़ी जटी हे।  जो नरम कलिया या नरम उगी पत्तिया होती हे।  इन्हे तोड़ने के बाद जितनी जल्दी फैक्टरी में प्रोसेस के लिए भेज दिया जाय उतना अच्छा होता हे।  इस लिए चाय की फैक्ट्री चाय के आपसपास ही होती हे। 

 चाय की सप्लाय 

>> चाय बागान से पत्ते चुने जाते है, उन्हें फैक्ट्री में डिलीवर कर के ही चाय गार्डन ऑनर की कमाई होती है। इस लिए आप अपने आसपास कोई चाय फैक्ट्री से कॉन्टेक्ट करना पड़ेगा। जो की आपसे चाय की पत्तिया खरीदे।  कई बार सोते चाय बागान वाले खेतेदारो को चाय की पत्तिया सप्लाय करते है।  तो आपको जहा भी सही कीमत मिले आप अपने बागान से निकले हुयी पत्तिया दे सकते है। 

चाय इंडस्ट्री 

>> और अब आगे बात करते हे चाय इंडस्ट्री में कैरियर की तो इंडिया चाय इंडस्ट्री सेन्ट्रल गवर्नमेंट में रहती हे। और चाय बोर्ड ऑफ़ इंडिया द्वारा काम देखती है।  इंडिया चाय इंडस्ट्री काफी बड़ी हे। 

           जिसमे ,

          - प्लांटेशन काम 

          - प्रोसेसिंग 

          - टेस्टिंग 

          - ओसनिंग 

          - ब्रांडिंग 

         - मार्केटिंग  एंड 

         - रिसर्च  का काम होता है। और यहाँ पर स्किल्ड और ट्रेड प्रोफेसनल की जरुरत पड़ती है। जिसमे ,

प्रोजेक्ट असिस्टेंट :  चाय बोर्ड ऑफ़ इंडिया में प्रोजेक्ट असिस्टेंट का काम रिसर्च बेस होता हे , जो चाय की पोदो में ग्रोथ एंड होने वाले फेन्गल इन्फ़ेक्सन को रोकने के लिए बायोपेस्टीफिट  बनाने का काम  करते हे। लाइफ सायन्स, बॉटनी , माइक्रोबायोलॉजी  में m.sc /b.sc   कर चुके कैंडिडेट इसके लिए अप्लाय कर सकते है। 

 प्रोजेक्ट सायंटिस्ट : जो गोवेनमेंट के प्रोजेक्ट पर काम करते हे।  चाय के पोदो की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग , कोलेटी एंड टेस्ट बढ़ाने पर इनका पूरा ध्यान रहता हे। वो कैंडिडेट जो m.sc इन जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग , प्लांट सायकोलोजी, एग्रीकल्चर, m. sc इन प्लांट बायोटेक्नोलोग्य एंड m.sc इन बॉटनी कर चुके होते हे वो अप्लाय कर सकते है।

माइक्रोबायोलॉजी 

>> इसी तेन बोर्ड इंडिया में इसे हिली पेड़ जॉब माना जाता हे , माइक्रोबायोलॉजी के तोर पर डेली सेम्पल का एनालिसिस, सेम्पल प्रेपरेसन , रिपोर्टिंग एंड इन कामो के लिए जरुरी चीजों की मेन्टेन्स रखने की जिम्मेदारि निभानी पड़ती है , जूनियर माइक्रोबायोलिस्ट के तोर पर b. sc /m. sc इन माइक्रोबॉयोलोजी और सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट के तोर पर b. sc /ph. d, माइक्रोबायोलॉजी , फ़ूड टेक्नोलॉजी , लाइफ सायन्स एंड एग्रीकल्चर की कॉलिफिकेसन चाईए होती है।  वैसे इसके आलावा भी रिसर्च बायलो की तोर पर चाय बोर्ड से जुड़ सकते है। जीनहे अलग अलग तोर पर काम करना पड़ता है।  इसके लिए m. sc इन लाइफ सायन्स , एग्रीकल्चर बायोटेक्नोलॉजी , प्लांट ब्रीडिंग जैसी डिग्री के साथ net ब्रांडिंग , मार्केटिंग , चाय टेस्ट प्रोडक्शन मैनेजर जैसी पोस्ट जॉब पर ऑफर करते है। 

चाय बिसनेस 

>> अब अगर बिज़नेस की बात की जय तो चाय इंडस्ट्री में अपना बिज़नेस करने के लिए आप अपना चाय का ब्रांड लॉन्च कर सकते है।  मार्केट में नेशनल और इंटरनेशनल ब्रांच के साथ लोकल चाय ब्रांड भी मौजूद हे।  इसके लिए आप अपनी कम्पनी रजिस्टर करवा कर और जरुरी लाइसेंस लेकर ये काम सरु कर सकते हे।  अब इतना कुछ कर केने के बाद अब बरी आती है चाय पट्टी की दुकन  की।

टी सोप   

>> चाय पट्टी दुकान = सामान्य चाय पट्टी पे,पैकेट या डबल वाली चाय मिल ही जाती है जो खरीदते है। इसके आलावा भी चाय पट्टी के होलसेल डीलर भी होते है।  जो असम चाय , दार्जलिंग चाय , ctc चाय या इंडिया के बाकि जगह की चाय जिसमे ग्रीन चाय परिनम कोलेटी की चाय भी बेचते है।  तो आप ये वाला ऑप्सन  भी चूस कर सकते है।  या फिर आप एक और काम भी कर सकते है, जो हे चाय दुकान - चाय पिने हम इंडियन को इतना पसंद हे की चाय चाय की टपरिया चाय स्टॉल पर हमेशा ही भीड दिखाई देती है।  तो आप अपने इंवेस्टमेन्ट के हिसाब से चाय की दुकान भी खुल सकते है। 

ट्रेनिंग प्रोग्राम 

>> इस इंडस्ट्री में आने के लिए अगर आप कोई पढाई या ट्रैनिग कॉस्ट्स करना चाहते तो भी कर सकते है। 

>> जैसे बिरला इंस्टीटूट ऑफ़ फर्नीचर स्टडीस , कोलकाता से आप सर्टिफिकेट कोर्स इन चाय टेस्टिंग कर सकते है। 

>> डिप्रेस इंस्टीटूट ऑफ़ प्रोफेसनल स्टडीज, कोलकाता से सर्टिफिकेट कोर्स इन चाय मैनेजमेंट की पढाई कर सकती हे।  इसके अलावा इंडिया इंस्टीटूट ऑफ़ प्लांटेशन मैनेजमेंट, बेलगलुरु से सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन चाय टेस्टिंग एंड मार्केटिंग कर सकते है।  तो उम्मीद करते हे की चाय इंडस्ट्री पर बने स्टडी कोर्स से आपको काफी सारी जानकारी मिली होगी। दोस्तों अगर आपको ये मेसेज पसंद आया है तो आप इसको लिखे करना और शेयर करना न भूले और आगे आप किस टॉपिक पर जानकारी चाहते है वो भी कमेंट बॉक्स में डाल दे। 

धन्यवाद !

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